शीतकाल के लिए ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हुए बाबा केदार

रुद्रप्रयाग।  करोड़ों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक भगवान केदारनाथ विभिन्न पड़ावों पर भक्तों को दर्शन देने के बाद शनिवार को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो गए। शनिवार को बाबा केदार की उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंची, जहां मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद भोले बाबा की पंचमुखी भोगमूर्ति को गद्दीस्थल में विराजमान किया गया।

अब शीतकाल के छह माह यहीं पर भोले बाबा की नित्य पूजाएं संपन्न की जाएंगी। वहीं, शुक्रवार को बाबा केदार की उत्सव डोली रामपुर से प्रस्थान कर अपने दूसरे पड़ाव विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची, जहां भक्तों ने फूल व अक्षतों से उत्सव डोली का भव्य स्वागत किया। गुरुवार को द्वादश ज्योर्तिलिंग में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के उपरांत भोले बाबा की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए रामपुर पहुंची थी।

शुक्रवार को सुबह ठीक आठ बजे मुख्य पुजारी टी. गंगाधर लिंग ने भोले बाबा की पंचमुखी भोगमूर्ति की विशेष पूजा-अर्चना कर भोग लगाया। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों, व्यवसायियों एवं श्रद्धालुओं ने बाबा की पंचमुखी डोली का फूलमालाओं से भव्य स्वागत किया। बड़ी संख्या में भक्तों ने भोले बाबा के दर्शन कर आशीर्वाद भी लिया। बाबा की पंचमुखी चलविग्रह उत्सव डोली की अगुआई कर रही मराठा रेजीमेंट के बैंड की धुनों एवं भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का वातावरण शिवमय हो गया। साढे 8 बजे भगवान की उत्सव डोली अपने अगले पड़ाव के लिए रवाना हुई।

भगवान की उत्सव डोली के शेरसी, बडासू, तरसाली, जामू होते फाटा पहुंचने पर स्थानीय व्यापारी एवं भक्तों ने फूल व अक्षतों से डोली का भव्य स्वागत किया। फाटा में व्यापार संघ की ओर से डोली के संग में चल रहे भक्तों को जलपान की व्यवस्था की गई। फाटा में भी भक्तों ने बाबा केदार के दर्शन कर अपने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। यहां पर कुछ देर विश्राम करने के बाद भगवान की उत्सव डोली खडिया, मैखंडा, व्यूंग, देवीधार, खुमेरा, नारायणकोटी, मस्ता एवं नाला होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंची। भक्तों ने भोले बाबा का फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया।

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