नार्कोलेप्सी: जानिए नींद से जुड़ी इस बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

दिनभर तरोताजा और ऊर्जावान रहने के लिए अच्छी नींद जरूरी है। हालांकि, कई लोग कुछ बीमारियों की वजह से अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं और ऐसी ही एक बीमारी है नार्कोलेप्सी। नार्कोलेप्सी से ग्रस्त व्यक्ति का स्लीप साइकिल असंतुलित हो जाता है और वह कभी भी कहीं भी किसी भी स्थान पर अचानक सो सकता है। आइए आज हम आपको इस नींद से जुड़ी बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के उपाय के बारे में विस्तार से बताते हैं।

नार्कोलेप्सी क्या है?
नार्कोलेप्सी एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। इससे ग्रस्त व्यक्ति का मस्तिष्क सामान्य रूप से सोने और जागने के पैटर्न को नियंत्रित करने में असमर्थ होता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, लगभग 20,000 अमेरिकी पुरुष और महिलाएं इस स्थिति से प्रभावित हुए हैं।

नार्कोलेप्सी के प्रकार
यह बीमारी दो प्रकार की होती हैं- टाइप 1 नार्कोलेप्सी: बीमारी के इस प्रकार से ग्रस्त रोगियों को दिन में अत्यधिक नींद आती है और कैटाप्लेक्सी समेत हाइपोकेट्रिन (एक मस्तिष्क रसायन) का निम्न स्तर होता है। टाइप 2 नार्कोलेप्सी: इस प्रकार से ग्रस्त व्यक्ति को बिना किसी कैटाप्लेक्सी स्थिति के दिन में नींद आती है। इस प्रकार के मरीजों में हाइपोकेट्रिन का स्तर सामान्य होता है।

नार्कोलेप्सी के कारण
नार्कोलेप्सी होने का कारण ब्रेन प्रोटीन ‘हाइपोक्रेटिन’ का कम होना माना जाता है। हाइपोक्रेटिन मस्तिष्क में मौजूद एक महत्वपूर्ण न्यूरोकेमिकल है, जो जागने और सोने के पैटर्न को रेगुलेट करने में मदद करता है। यह बीमारी ऑटोइम्यून विकार के कारण भी हो सकती है। यह बीमारी आनुवांशिक कारणों से भी हो सकती है। आनुवांशिक का मतलब परिवार के किसी सदस्य को यह बीमारी हो तो आपको नार्कोलेप्सी हो सकती है।

नार्कोलेप्सी के लक्षण
दिन में एक से अधिक बार नींद आना नार्कोलेप्सी का सामान्य लक्षण है, जो आपकी दैनिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है। मानसिक समस्याएं, ऊर्जा में कमी और थकावट भी इस बीमारी के लक्षण हैं। नार्कोलेप्सी के कारण रात को नींद लेने में मुश्किल होती है और इससे स्लीप पैरालिसिस भी हो सकता है। इस बीमारी की वजह से व्यक्ति को अधिक क्रोध, तनाव, भय आदि का भी सामना करना पड़ता है।

बचाव के उपाय
डॉक्टर इस बीमारी के इलाज के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं, लेकिन इसे नियंत्रित करने का सबसे अच्छा तरीका स्वस्थ जीवनशैली अपनाना है। इसके लिए डाइट में स्वास्थ्यवर्धक खान-पान की चीजों को शामिल करें। अपने सोने के पैटर्न को ठीक करने की कोशिश करें। धूम्रपान, शराब और जंक फूड आदि चीजों का सेवन न करें। नियमित तौर पर कुछ हल्की-फुल्की एक्सरसाइज भी करें।

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